बुरे कर्म करने वाल फ़कीर हो जाता है, शनि देव को चाहने वाला अमीर हो जाता है.

महिमा श्री शनि देव की, मुख से कहि ना जाय, विपदा, संकट, कष्ट सब तुरंत दूर हो जाय.

भले ही मूर्ति बनकर बैठे है, पर मेरे साथ खड़े है, आये संकट जब भी मुझे पर मुझ से पहले मेरे शनिदेव लड़े है.

संघर्ष और चुनौतियों से भरी जिंदगानी है, इसलिए शनि देव को प्रसन्न करने की ठानी है.

त्रिनेत्र से ही पृथ्वी का संतुलन संभव हैं, भोले की भक्ति ने मेरे तीसरे नेत्र को खोल दिया है.

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