जानिए भगवान शिव से जुड़े वो रहस्य जिनसे आप हैं अंजान :
भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। इसलिए कहते है, तीसरी आँख बंद ही रहे प्रभु की।
सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ।
भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था। जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था।
शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फुल नही चढ़ाया जाता। क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था।