Current Date: 12 Oct, 2024

अवध में राम आए है

- जया किशोरी जी


सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध में राम आए है,
अवध मे राम आए है,
मेरे सरकार आए है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
अवध मे राम आए है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए है।।

तर्ज – सजा दो घर को गुलशन सा।

पखारो इनके चरणों को,
बहा कर प्रेम की गंगा,
बहा कर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलकों को,
अवध मे राम आए है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए है।।

तेरी आहट से है वाकिफ,
नहीं चेहरे की है दरकार,
बिना देखें ही कह देंगे,
लो आ गए है मेरे सरकार,
लो आ गए है मेरे सरकार,
दुआओं का हुआ है असर,
दुआओं का हुआ है असर,
अवध मे राम आए है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए है।।

सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध में राम आए है,
अवध मे राम आए है,
मेरे सरकार आए है,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
अवध मे राम आए है,
सजा दो घर को गुलशन सा,
अवध मे राम आए है।।

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