Current Date: 27 Jul, 2024

भोले के साथ पिले - संजय मित्तल


भोले के साथ पिले,
मचले जो दिल दीवाना,
भोले के साथ पिले,
मचले जो दिल दीवाना,
दावा है छोड़ देगा,
दावा है छोड़ देगा,
मैखाने में तू जाना,
भोले के साथ पी ले,
मचले जो दिल दीवाना।।

तर्ज – फूलों में सज रहे है।

पीना है क्या वो जिसमे,
इतना नशा ही छाए,
पीते है रात को तो,
सुबह उतर ही जाए,
उतरेगा ये नशा ना,
उतरेगा ये नशा ना,
जितना भी हो पुराना,
भोले के साथ पी ले,
मचले जो दिल दीवाना।।

विष पिने वाले को तो,
चढ़ता कोई नशा ना,
तक़दीर ये बदलता,
पिने का कर बहाना,
इसको तो कम है पीना,
इसको तो कम है पीना,
अमृत हमें पिलाना,
भोले के साथ पी ले,
मचले जो दिल दीवाना।।

गम को भुलाने खातिर,
पीते है लोग अक्सर,
मिट जाते उनके गम है,
पीते है जो यहाँ पर,
जो गम ही ना रहे तो,
जो गम ही ना रहे तो,
फिर किसको है भुलाना,
भोले के साथ पी ले,
मचले जो दिल दीवाना।।

भोले के प्यार में तो,
आशिक है ये जमाना,
आंखों से पीके जिसके,
‘सोनू’ हुआ दीवाना,
अब तो इसी के दर पे,
अब तो इसी के दर पे,
जीवन है ये बिताना,
भोले के साथ पी ले,
मचले जो दिल दीवाना।।

भोले के साथ पिले,
मचले जो दिल दीवाना,
भोले के साथ पिले,
मचले जो दिल दीवाना,
दावा है छोड़ देगा,
दावा है छोड़ देगा,
मैखाने में तू जाना,
भोले के साथ पी ले,
मचले जो दिल दीवाना।।

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