Current Date: 22 May, 2024
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बुधवार व्रत कथा - Rakesh Kala


कोरस :-     बुधदेव  महाराज बुधदेव  महाराज आ आ आ आ आ आ 
M:-    ॐ श्री गणेशाय नमः बोलिये भगवान श्री गणेश जी महाराज की 
कोरस :-    जय 
M:-    बोलिये श्री बुधदेव महारज की 
कोरस :-    जय 
M:-    भक्तो आप और हम इतने सौभाग्यशाली है जो हमने भारत किसी जन्मभूमि    में जन्म लिया है मेरा भारत गीता रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथो की नगरी वेद और पुराणों की नगरी और अनेकानेक गाथाओ और पुराणों की नगरी है यहाँ सप्ताह के सातो वारो की पूजा की जाती है और हर वार के व्रत की एक पावन गाथा प्रचलित है आज मैं आपको बुधवार के पावन व्रत की गाथा सुनाने जा रहा हूँ जिसे केवल सुनंने मात्र से व्यक्ति श्री बुधदेव महाराज की कृपा को प्राप्त करता है तो आइये सुनते है बुधवार पावन व्रत कथा 
    गाथा बुध के व्रत की पावन सुनके शुद्ध हो जाता तन मन हो कल्याण रे 
    व्रत की कथा है ये महान रे 
कोरस :-     व्रत की कथा है ये महान रे 
M:-    भक्तो भक्ति में तन मन रंग लो श्री बुधदेव को सुमिरले ले लो नाम रे 
    व्रत की कथा है ये महान रे 
कोरस :-     व्रत की कथा है ये महान रे 
M:-    भक्तो समता पुर नगर में मधुसूदन नाम का एक व्यक्ति रहता था जिसका विवाह बलरामपुर में रहने वाली संगीता के साथ हुआ था एक समय की बात है संगीता अपने मायके गयी  हुई थी कुछ दिन बाद मधुसूदन संगीता को लेवाने उसके मायके गया उस दिन बुधवार था भक्तो सो मान्यता अनुसार संगीता के माता पिता ने बुधवार की यात्रा से मना कर दिया परन्तु मधुसूदन एक ना माना और संगीता को बैलगाड़ी पर बिठाकर यात्रा प्रारम्भ कर दी दो कोष ही चला था भक्तो की बैलगाड़ी का पहिया टूट गया सो दोनों पैदल पैदल अपने घर को जाने लगे धुप और गर्मी से संगीता को प्यास लग आयी मधुसूदन ने उसे पेड़ की ठंडी छाव में बिठाया और जल लेने चला गया ज्यू ही जल लेकर वापिस आता है तो क्या देखता है 
    अपने जैसा दिखने वाला संगीता के बगल में बैठा 
    संगीता भई चकरा गयी थी खेल विधि ने केसा खेला 
    दोनों में अंतर् ना कर पायी बुद्धि उसकी थी चकराई
    हुई हैरान रे कोई ना असल की पहचान रे 
कोरस :-      कोई ना असल की पहचान रे 
M:-    गाथा बुद्ध के व्रत की पावन सुनके शुद्ध हो जाता तन मन हो कल्याण रे 
    व्रत की कथा है ये महान रे 
कोरस :-     व्रत की कथा है ये महान रे 
M:-    बुधदेव  महाराज बुधदेव  महाराज आ आ आ आ आ आ 
एक जैसी सूरत  वाले दो दो मधुसूदन देखकर संगीता की बुद्धि पूरी तरह चकरा गयी भक्तो और वो दोनों अपने को असली कहकर आपस में लड़ने झगड़ने लगे उनका झड़गा देख आस पास के गांव वाले वह एकत्रित हो गए और कुछ ही देर में वहां राजा के सिपाही भई आ पहुंचे उन्हें झगड़ते देखा तो उन्हें पकड़कर राजा के समक्ष ले गए राजा भई जब दोनों में कोई भेद ना कर पाया तो उसने दोनों को ही कारावास में डलवा  दिया असली मधुसूदन रो रो कर भगवान से प्रार्थना कर रहा है की तभी उसके कानो में ये आकाशवाणी सुनाई दी 
M:-    मात पिता की बात ना मानी बुद्ध को यात्रा की थी ठानी 
    बुधदेव नाराज है तुमसे क्षमा मांग लो जाकर उनसे 
    मन ही मन में पड़ा पछताना क्यों ना मात पिता की माना था अनजान रे 
    बुधदेव दे दो क्षमा दान रे 
कोरस :-     बुधदेव दे दो क्षमा दान रे 
M:-    गाथा बुद्ध के व्रत की पावन सुनके शुद्ध हो जाता तन मन हो कल्याण रे 
    व्रत की कथा है ये महान रे 
कोरस :-     व्रत की कथा है ये महान रे 
M:-    बुधदेव भगवान अत्यंत दयालु और कृपालु है तो जब मधुसूदन ने सांचे ह्रदय से भगवान बुधदेव से क्षमा याचना की तो भगवान ने अपनी कृपा दिखाई नकली मधुसूदन कारावास से अंतर्ध्यान हो गया सुबह जब राजा को सत्य ज्ञात हुआ तो उसने मधुसूदन और संगीता को ससम्मान राज दरबार से विदा किया और ढेर सारे उपहार भई भेट में दिए थोड़ी दूर चलने पर उन्हें अपनी बैलगाड़ी भई मिल गयी जो भगवान बुधदेव की कृपा से अब बिलकुल ठीक ठाक अवस्था में थी दोनों ने बुधदेव भगवान की जय जय बुलायी और अपने नगर में आ गए 
    बुधदेव ने किरपा दिखाई खुशिया जीवन वापिस आयी 
    दोनों बुध के व्रत को करते हरी वस्तु का भोग लगाते 
    आरती चालीसा वो करते बुधदेव को रोज सुमिरते लेते नामरे 
    करते वो बुध का गुणगान रे 
कोरस :-     करते वो बुध का गुणगान रे 
M:-    गाथा बुद्ध के व्रत की पावन सुनके शुद्ध हो जाता तन मन हो कल्याण रे 
    व्रत की कथा है ये महान रे 
कोरस :-     व्रत की कथा है ये महान रे 
M:-    बुधदेव  महाराज बुधदेव  महाराज आ आ आ आ आ आ 
अब दोनों के जीवन में प्रसन्नता ही प्रसन्नता थी दोनों हर बुधवार सूर्य उदय  से पहले उठते दोनों स्नान आदि कर बुधदेव का उपवास करते सारा दिन भजन कीर्तन व् नाम का सुमिरन करते साय काल श्रद्धा से हरे रंग की वस्तु का भोग बनाते आरती चालीसा मंत्र का पठन करते और बुधवार की पावन व्रत कथा सुन भगवान को भोग लगाते और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करते मधुसूदन और संगीता ने श्री बुधदेव की कृपा से जीवन में समस्त सुख भोगे और अंत में मुक्ति को प्राप्त किया इसी तरह भक्तो संसार का कोई भी प्राणी श्री बुधवार के पावन व्रत को करता है उस दिन हरे वस्त्र पहनता है ह्री वस्तुओ का भोग लगाता है सायकाल व्रतकथा के पश्चात एक समय भोजन ग्रहण करता है वो प्राणी भगवान बुधदेव की विशेष कृपा को प्राप्त करता है  तो बोलिये भगवान बुधदेव महाराज की 
कोरस :-     जय 
M:-    बुध की भक्ति मन से कर लो सच्चे मन से नाम सुमिरलो 
    नाम रतन धन पाते जाओ चंदन का इन्हे तिलक लगाओ 
    भव के बिच रहे ना नैया श्री बुध देव जी खिवैया करते पार रे 
    जय जय श्री बुधदेव महाराज  रे 
कोरस :-     जय जय श्री बुधदेव महाराज  रे 
M:-    गाथा बुद्ध के व्रत की पावन सुनके शुद्ध हो जाता तन मन हो कल्याण रे 
    व्रत की कथा है ये महान रे 
कोरस :-     व्रत की कथा है ये महान रे 

Singer - Rakesh Kala