Current Date: 15 May, 2024
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गज लक्ष्मी व्रत पूजन विधि - Traditional


Gaja Lakshmi Vrat 2021:
राधा अष्टमी के दिन से शुरू हुए माता लक्ष्मी के 16 दिन के व्रतों का समापन 29 सितंबर को होगा। माता लक्ष्मी के व्रत राधा अष्टमी से प्रारंभ हो कर अश्विन मास की अष्टमी तिथि तक रखे जाते हैं। अश्विन मास की अष्टमी तिथि पर गज लक्ष्मी का व्रत रखने का विधान है। गज लक्ष्मी, अष्ट लक्ष्मी का एक रूप हैं जिनके पूजन से धन-धान्य और संपन्नता की प्राप्ति होती है। गज लक्ष्मी का व्रत संपूर्ण पितर पक्ष का एकमात्र दिन है जिस दिन सोना या संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं गज लक्ष्मी व्रत की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि....

व्रत की तिथि और मुहूर्त

गज लक्ष्मी का व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। पंचांग गणना के अनुसार अष्टमी कि तिथि 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 29 सितंबर को शाम 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। माता लक्ष्मी का पूजन शाम को होने के कारण कुछ लोग 28 सितंबर को ही गज लक्षमी का व्रत रख रहे हैं। लेकिन उदया तिथि के नियम के अनुरूप अष्टमी तिथि 29 सितंबर को ही मानी जाएगी। इस लिए गज लक्ष्मी का व्रत 29 सितंबर को ही रखना शुभ होगा।

गज लक्ष्मी व्रत की पूजन विधि

गज लक्ष्मी व्रत के पूजन के दिन मां लक्ष्मी की सवारी गज यानि हाथी का भी पूजन किया जाता है। इस दिन मिट्टी के या चांदी के हाथी की पूजा की जाती है। गज लक्ष्मी के व्रत का आरंभ प्रातः काल में नहा कर मां लक्ष्मी का संकल्प ले कर किया जाता है। दिन भर फलाहार व्रत रख कर शाम को मां का पूजन करना शुभ माना जाता है। सांय काल में पूजा के स्थान पर आटे और हल्दी से चौक बना कर यहां एक कलश की स्थापना करें। कलश के समीप मां लक्ष्मी और हाथी की मूर्ति रखें। पूजा में सोने की कोई चीज जरूर रखें। मां लक्ष्मी और गज को धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाए तथा इत्र जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां लक्ष्मी के मंत्रों और आरती गा कर लक्ष्मी मां की स्तुति करें।

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