Current Date: 23 Mar, 2023
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श्री हुनमान स्तुति (Hanuman Stuti Lyrics in Hindi) - Prem Prakash Dubey

श्री हनुमंत स्तुति प्रेमीजनों इन पांच श्लोको में श्री हनुमान जी की बड़ी ही विलक्षण वंदना की गई है कहते है हनुमान जी का वास कहा है अक्सर लोग भ्रमित रहते है शास्त्री आख्यान है पारिजात वृक्ष के जड़ में हनुमान जी का वास है आइए पारिजात तरु मूल वासनाम भायामि पवमान नन्दनम ऐसे दिव्य श्लोक से श्री हनुमान जी की वंदना करते है .................................


श्री हुनमान स्तुति

अंजनी मती पाट लालनं ।
 कांचन नदरिक मनीय विग्रहाम ।।

पारिजात तरु मूल वासनाम ।
 भायामि पवमान नन्दनम ।।

गोसपादि कृत्वा रिशम ।
 मस्की कृत राक्षम ।। 

रामायण महा मलारत्नम ।
वंदे अमिल्तजाम ।।

 यत्र यत्र रघुनाथ कृतनम ।
 तत्र तत्र कृत मस्त कांजलिम ।।
 
वास्पारि पारी पूर्ण लोचनं ।
 मरुतिनाम राक्षस सान्तकं ।।

 अंजनी नादनम वीरम ।
जानकी शोक नासनाम ।। 

 कपिक्षमाक हन्तारं ।
वंदे लंका भयंकरम ।।
 
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं ।
दनुजवनकृशानं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

 सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं ।
 रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

।। इति हनुमंत स्तुति समाप्त जय सिया राम ।।

 

Singer - Prem Prakash Dubey

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