Current Date: 03 May, 2024
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Shri Krishna Janmashtami 2022: जानिए व्रत, श्रृंगार और पूजा विधि के नियम - traditional


Shri Krishna Janmashtami 2022: जैसे-जैसे जन्माष्टमी का त्योहार (festival of Janmashtam) नजदीक आ रहा है, भक्तों में उत्साह भी बढ़ता जा रहा है. इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) का पर्व 18 और 19 अगस्त को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। यही कारण है कि हर साल जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर 2 अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं। दरअसल जन्माष्टमी के दिन वृद्धि और ध्रुव नाम के योग का शुभ संयोग होता है. इसी वजह से इस बार जन्माष्टमी को खास माना जा रहा है. ऐसे में हम आपको जन्माष्टमी और इस दिन रखे जाने वाले व्रत का महत्व बताएंगे। 

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान और धन की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर आप अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। जिन लोगों के चंद्रमा कमजोर हैं उन्हें पूजा विशेष से लाभ हो सकता है।

ऐसे चुने श्री कृष्ण की मूर्ति (Choose the idol of Shri Krishna like this)

बाल कृष्ण आमतौर पर कृष्ण जन्माष्टमी पर स्थापित होते हैं। आपकी आवश्यकताओं और इच्छाओं के आधार पर कोई भी प्रारूप स्थापित किया जा सकता है। प्रेम और विवाह के लिए राधा कृष्ण की स्थापना करें। बाल कृष्ण बच्चों के लिए है। बंशी कृष्ण अन्य सभी इच्छाओं के लिए हैं। इस दिन का उपयोग शंख या शालिग्राम की स्थापना के लिए भी किया जा सकता है।

ऐसे करें श्री कृष्ण का श्रृंगार (How to do Shri Krishna makeup)

आप अपने घर को सजाने के लिए ढेर सारे फूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पीले वस्त्र, चन्दन,  और चन्दन की सुगंध धारण करें। काले रंग का प्रयोग करें। वैजयंती के फूल कृष्ण को अर्पित करें।

ये व्यंजन होते है शामिल (These dishes are included)

पंचामृत डाल सकते हैं। आप इसमें तुलसी का पत्ता भी मिला सकते हैं। सूखे मेवे, मक्खन और मिश्री चढ़ाएं। कुछ स्थानों पर धनिया के बीज की पेशकश की जा सकती है। श्री कृष्ण को सात्विक भोजन परोसा जाता है जिसमें सभी प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं।

कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी (How to celebrate Janmashtami)

सुबह स्नान कर व्रत या पूजा का संकल्प लें। सात्विक बने। और जैसी आपकी  श्रद्धा हो वैसे अपने व्रत को पूरा करें। 

पंचामृत स्नान क्या है? (What is Panchamrit Snan)

आधी रात तक भगवान कृष्ण की धातु की मूर्ति को एक पात्र में रखें। फिर मूर्ति को दूध, दही और शहद से धो लें। अंत में घी डालें। यह है पंचामृत स्नान। फिर गर्म पानी से स्नान कराएं । फिर देवताओं को पीतांबर और फूल चढ़ाएं। उसके बाद प्रसाद से अपना व्रत खोले। 

 व्रत को खोलने का प्रसाद क्या होगा? (What will be the offering to break the fast)

पंचामृत अर्पित करें। इसमें तुलसी का पत्ता भी डाल दें। सूखे मेवे, मक्खन और मिश्री चढ़ाएं। कहीं-कहीं धनिया के बीज भी चढ़ाए जाते हैं। इन्ही प्रसाद को ग्रहण कर के व्रत खोल सकते हैं।

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