Current Date: 06 May, 2024
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केदारनाथ धाम - Traditional


केदारनाथ मंदिर का इतिहास :

हिमालय की गोद में बसा केदारनाथ उत्तराखंड राज्य के  रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में मुख्यतः शामिल है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों के वंशज जनमेजय ने करवाया था, तथा इसका जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य जी ने किया था। मंदिर कत्यूरी शैली में पत्थरों से निर्मित है, तथा इसमें स्थित शिवलिंग स्वयंभू है।


केदारनाथ का मुख्य परिसर
केदारनाथ मंदिर की महत्ता :

केदारनाथ के विषय में प्रचलित है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ का दर्शन केदारनाथ के दर्शन के बिना करता है, उसका दर्शन अधूरा रह जाता है। अतः केदारनाथ के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ का दर्शन उचित है। 

मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर निर्मित है, जिसके प्रांगण में नन्दी बैल विराजमान हैं।  केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते हैं। यहाँ  प्रात:काल में शिव-पिण्ड को प्राकृतिक रूप से स्नान कराकर उस पर घी का लेपन किया जाता है। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर आरती उतारी जाती है। इसके बाद भक्त जन मंदिर में प्रवेश कर पूजन कर सकते हैं, लेकिन संध्या के समय भगवान का श्रृंगार किया जाता है। उन्हें विविध प्रकार से सजाया जाता है। भक्तगण दूर से केवल इसका दर्शन कर सकते हैं।

केदारनाथ की पौराणिक कथा :

केदारनाथ के शिवलिंग के विषय में एक पौराणिक कथा सुनने को मिलती है , जिसका वर्णन पुराणों में है। यह कथा इस प्रकार है - महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर भी कोई पांडव सुखी नहीं था, उन्होंने इतना नरसंहार देखा था कि युद्ध को याद करते ही उनका मन शोक और पश्चाताप से भर जाता था। पांडव अपने भाइयों और गुरुओं की हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। अतः श्री कृष्ण ने उन्हें सुझाया कि वे शिव शंकर को प्रसन्न करें एवं उन्ही से क्षमा प्रार्थना करें।


केदारनाथ का मुख्य ज्योतिर्लिंग​
भगवन शंकर के दर्शन के लिए पांचो भाई कैलाश गए, किन्तु शिव जी उनसे रुष्ट थे, इसलिए पांडवों के आते ही वे वहां से अंतर्धान हो गए। पांडव किसी भी हाल में शिवजी को मनाना चाहते थे, इसलिए वे भी भगवान शंकर को ढूंढते हुए केदार पहुंच गए। शंकर जी ने उन्हें देखते ही एक वृषभ का रूप धारण कर लिया और अन्य पशुओं में जा मिले। किन्तु भीम को संदेह हो गया, और वह उनका पीछा करने लगा। भीम को अपने पीछे देखकर वृषभ बने शिव भूमि में समाने लगे, किन्तु भीम ने उनकी पीठ के त्रिकोणात्मक भाग को पकड़ लिया। शिव शंकर पांडवों की भक्ति तथा उनके दृढ संकल्प को देख कर प्रसन्न हुए और उन्होंने तत्काल पांडवों को दर्शन देकर उन्हें पाप मुक्त कर दिया।

दर्शन का प्रारूप :

सर्वप्रथम सुबह मंदिर की सफाई होती है उसके बाद केदारनाथ मन्दिर दर्शनार्थियों के लिए सुबह 6.00 बजे से खुलता है।
दोपहर 3 से 4 बजे तक विशेष पूजा होती है और फिर मंदिर विश्राम के लिए बन्द कर दिया जाता है।
शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर फिर से खोला जाता है।
मंदिर के पुजारी और सेवक भगवान शिव की पाँच मुख वाली प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करते है फिर शाम को 7 से 8 बजे तक नियमित आरती होती है।
रात को 8.30 के बाद मंदिर फिर से बंद कर दिया जाता है।​
मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने का समय :


परिसर में लगी नंदी की प्रतिमा​
हिमालय की गोद में होने के कारण ठंडियों में बर्फ गिरने और तापमान कम होने की वजह से केदारनाथ मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। मंदिर के पुजारी पूरे विधि विधान से नवम्बर 15 तारीख से पूर्व (वृश्चिक संक्रान्ति से दो दिन पूर्व) केदारनाथ बाबा के मंदिर को बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को “उखीमठ” में लाया जाता हैं और यही पर पूजा की जाती है। फिर 6 महीने बाद वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद मंदिर के कपाट फिर से खुलते है।

केदारनाथ कैसे पहुंचे? :

केदारनाथ में अब तक काफी विकास हो चुका है, जिस कारण यहाँ पहुंचना बहुत आसान हो गया है।   आप यहाँ सड़क, रेल और हवाई सफर से पहुँच सकते हैं। भारत के किसी भी शहर से केदारनाथ पहुँचा जा सकता है। विभिन्न साधनों द्वारा चंडीगढ़ (387 km), दिल्ली (458 km), नागपुर (1421 km), कानपुर (492 km), बंगलोर (2484 km) सभी शहरों से केदारनाथ पहुँचना बहुत आसान है।

सड़क मार्ग - अगर आप दिल्ली से केदारनाथ सड़क मार्ग से जाते हैं, तो आप ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून के रास्ते जा सकते हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून पहुँचने के बाद आप केदारनाथ के लिए कार या जीप बुक कर सकते हैं। दिल्ली से ऋषिकेश और हरिद्वार के लिए हर आधे घंटे में सीधे बस सर्विस उपलब्ध है। बस से आप दिल्ली से हरिद्वार 8-9 घंटे में पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग - दिल्ली से हरिद्वार या ऋषिकेश रेल मार्ग से 4-5 घंटे में पहुँचा जा सकता है.

हवाई मार्ग - केदारनाथ हवाई जहाज़ से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।  केदारनाथ के नज़दीक जॉली ग्रांट एरपोर्ट, देहरादून है जो की केदारनाथ से 239 किलोमीटर दूर है।

ऋषिकेश से केदारनाथ का मार्ग (223 Km) :

ऋषिकेश से केदारनाथ पहुँचने के कुल 13 पड़ाव हैं। ऋषिकेश से केदारनाथ 223 किलोमीटर का रास्ता पहाड़ी और घुमावदार है।

केदारनाथ से शहरों की दूरी :

ऋषिकेश से केदारनाथ 223 km

दिल्ली से केदारनाथ 458 km

लखनऊ से केदारनाथ 469 km

अहमदाबाद से केदारनाथ 1,071 km

मुंबई से केदारनाथ 1,437 km

बंगलोर से केदारनाथ 2484 km

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