Current Date: 07 Nov, 2024

माँ ने खोलते खज़ाने (Maa Ne Kholte Khazane)

- traditional


माँ ने खोलते खज़ाने

दर खुला जदों सच्ची सरकार दा,
फेर मन विच सोचा कि विचारदा,
जैकारा तू बुला ते सही,
माँ ने खोलते खज़ाने भरे झोलियाँ,
तू झोली नु फैला ते सही,
दर खुला जदों सच्ची सरकार दा....

जिने बोलेया जयकारा दर आके के मईया नु धयाके,
के ओहनु रही कोई थोड़ ना,
तू वी करलें दीदार भोली माँ दे के ठण्डी मीठी छाह दे ,
के ओहनु रही कोई लोड़ ना,
जिने श्रद्धा नाल शिश नु झुका लेया,
ओहने मन चाहा फल ऐथो पा लेया,
तू शिश नु झुका ते सही,
माँ ने खोलते खज़ाने भरे झोलियाँ,
तू झोली नु फैला ते सही,
दर खुला जदों सच्ची सरकार दा....

लखा तरगे लखा ने तर जाणा के जिने दर ओणा,
तू लौनै दस क्यूँ देरियाँ,
तू वी वेखलै ज़रा अजमाके ते लेखां नु जगाके,
क्यूँ फ़ैसेया घुमणघेरियां,
भरें झोलियाँ एह मुँहों वी नी दसदी,
सदा अँग सँग दाती तेरे वसदी,
तू दिल नु टिका ते सही,
माँ ने खोलते खज़ाने भरे झोलियाँ,
तू झोली नु फैला ते सही,
दर खुला जदों सच्ची सरकार दा....

स इक वारी ऐदा होके बैजा तू जो चाहे लैजा हैं,
कमी एथें केडी गल दी,
एदी नजरां च कोई वी अमीर नी ते कोई वी ग़रीब नी,
हैं सदा श्रद्धा दे वल दी,
बाक़ी सारी गल छड दे फिज़ूल दी,
जीवे बणी संजीव सरदूल दी,
तू अपणी बनातें सही,
माँ ने खोलते खज़ाने भरे झोलियाँ,
तू झोली नु फैला ते सही,
दर खुला जदों सच्ची सरकार दा....

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