मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 मनाने के लिए तैयार हो जाइए, यह हिंदू कैलेंडर का एक शुभ दिन है जो ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है। लोगों का मानना है कि ज्ञान और बुद्धि के हिंदू देवता भगवान दत्तात्रेय का जन्म इसी दिन हुआ था। और, यह हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर को चिह्नित करता है। मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को लोग भगवान शिव की पूजा से जोड़ते हैं। और, इसे आध्यात्मिक विकास और ज्ञानोदय चाहने वालों के लिए भी अत्यधिक फायदेमंद मानते हैं। तो अपने कैलेंडर को चिह्नित करें और मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 की दिव्य ऊर्जा को अपनाने के लिए तैयार हो जाएं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023: तिथि और समय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा मंगलवार, 26 दिसंबर, 2023 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 26 दिसंबर, 2023 को सुबह 05:46 बजे शुरू होगी और 27 दिसंबर, 2023 को सुबह 06:02 बजे समाप्त होगी। मार्गशीर्ष पूर्णिमा उत्सव का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इसे श्रद्धापूर्वक मनाते हैं, उनके लिए यह सौभाग्य, सुख और समृद्धि लाता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा ज्योतिष में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन है, जो मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर चंद्रमा अपनी उच्च स्थिति में होता है। और लोगों का मानना है कि इसका मन और शरीर पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोग इस समय को पूजा, यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण और अत्यधिक शुभ मानते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो आत्मज्ञान या आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करना चाहते हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन पूर्णिमा की ऊर्जा ध्यान और अन्य आध्यात्मिक प्रथाओं की शक्ति को बढ़ाती है। इसलिए, यह आध्यात्मिक साधकों के लिए अपने अभ्यास को गहरा करने और अपने भीतर से जुड़ने का एक आदर्श समय है।
लोग मार्गशीर्ष पूर्णिमा को देवता भगवान विष्णु से भी जोड़ते हैं और इसे उनके अवतार मत्स्य के दिन के रूप में मनाते हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु ने पहले मनुष्य मनु और पहली मछली मत्स्य को भीषण बाढ़ से बचाया था। और यह एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है। अपने आध्यात्मिक महत्व के अलावा, मार्गशीर्ष पूर्णिमा उत्सव और आनंद का भी समय है। यह दोस्तों और परिवार के साथ मिलने, उपहारों का आदान-प्रदान करने और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेने का समय है। ज्योतिष शास्त्र में, लोग महत्वपूर्ण निर्णय लेने या नए उद्यम शुरू करने के लिए इस दिन को अत्यधिक लाभकारी मानते हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन कोई भी नया उद्यम या प्रयास शुरू करने से सफलता और बड़ी समृद्धि मिलती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कैसे करें?
मार्गशीर्ष के शुभ महीने के दौरान हिंदू एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान, मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत मनाते हैं। 2023 में, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर को पड़ती है। लोगों का मानना है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करने से भक्तों को समृद्धि, खुशी और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।
इस व्रत को करने के लिए व्रती को सुबह जल्दी उठना होता है, स्नान करना होता है और साफ कपड़े पहनने होते हैं। फिर, उन्हें भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और उनकी मूर्ति के सामने दीया जलाना चाहिए। भक्त को भगवान को फूल, फल, मिठाई और अगरबत्ती चढ़ानी चाहिए और विष्णु सहस्रनाम का जाप करना चाहिए।
पूजा के बाद भक्त को पूरे दिन उपवास रखना चाहिए और केवल फल, दूध और पानी का सेवन करना चाहिए। लोगों का यह भी मानना है कि यह व्रत शरीर और मन को शुद्ध करने में मदद करता है। और, भक्त को शांति और शांति प्राप्त करने में भी सहायता करता है।
शाम के समय भक्त को मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा करनी चाहिए। यह भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के रूप में अवतार की कहानी बताता है। भक्त को अत्यंत भक्तिभाव से कथा सुननी चाहिए और भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए।
अंत में, भक्त को पूजा के दौरान भगवान विष्णु को चढ़ाए गए प्रसाद को खाकर व्रत तोड़ना चाहिए। उन्हें परिवार के सदस्यों, दोस्तों और जरूरतमंदों को प्रसाद वितरित करना चाहिए।
लोगों का मानना है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत करने से भक्त को अत्यधिक लाभ मिलता है। लाभों में इच्छाओं की पूर्ति, बाधाओं को दूर करना और आध्यात्मिक उत्थान शामिल है। यह भी माना जाता है कि इससे भक्त को लंबा और स्वस्थ जीवन मिलता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव की पूजा करें
लोग मार्गशीर्ष पूर्णिमा को भगवान शिव की पूजा करने का शुभ दिन मानते हैं। इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है और इसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भक्त विभिन्न अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करके भगवान शिव की पूजा करते हैं। लोगों का यह भी मानना है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा करने से शांति, समृद्धि और सौभाग्य मिलता है। लोग कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से बाधाएं और नकारात्मकता दूर हो जाती है। इसलिए, सकारात्मकता और सौभाग्य लाता है।
लोग ज्योतिष में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व इस दिन तारों और ग्रहों की स्थिति को बताते हैं। लोगों का मानना है कि आकाशीय पिंडों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा इस दिन को पूजा के लिए शुभ और लाभकारी बनाती है। भक्त आमतौर पर मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत रखते हैं। वहीं, शाम के समय भगवान शिव को दूध, शहद और बिल्व पत्र चढ़ाकर पूजा भी करें। वे भगवान शिव को समर्पित मंत्रों और भजनों का जाप करते हैं, उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
शिव पूजा के लाभ
भगवान शिव की पूजा के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का बहुत महत्व है। शिव के भक्तों का मानना है कि यह दिन उन लोगों के लिए अपार आशीर्वाद और सौभाग्य लेकर आता है जो भगवान शिव की पूजा और भक्ति करते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव की पूजा करने का एक प्राथमिक लाभ यह है कि यह बाधाओं को दूर करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। यह शुभ दिन जीवन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों को दूर करने के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लेने का आदर्श समय माना जाता है।
इसके अतिरिक्त, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव की पूजा करने से आध्यात्मिक विकास और ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। भगवान शिव चेतना के उच्चतम रूप का अवतार हैं और उनकी भक्ति से आंतरिक शांति और ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है।
इसके अलावा, इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मन और शरीर को शुद्ध करने और पिछले किसी भी गलत काम के लिए माफी मांगने में मदद मिल सकती है। इससे करुणा, प्रेम और क्षमा जैसे सकारात्मक गुणों का विकास भी हो सकता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा को नए उद्यम और परियोजनाएं शुरू करने के लिए भी शुभ समय माना जाता है। शिव के भक्तों का मानना है कि इस दिन उनका आशीर्वाद मांगने से नए उद्यमों में सफलता और समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
Singer - Bhajan Sangrah
और भी देखे :-
- हनुमान जी को कैसे मिला चिरंजीवी होने का आशीर्वाद (Hanuman Ji Ko Kaise Mila Chiranjivi Hone Ka Ashirvad)
- Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
- भगवान गणेश को दूर्वा क्यों अर्पित की जाती है (Bhagwan Ganpati Ko Durva Kyun Arpit Ki Jaatti Hai)
- क्यों हिन्दू धर्म के वेदों को दो बार रचा गया था (Kyun Hindu Dharam Ke Vedon Ko Do Bar Racha Gyaa Tha)
- Chhath Puja 2023: छठ पूजा में "संध्या अर्घ्य" का महत्व क्या है?
- Dhanteras 2023: धनतेरस पर भगवान को प्रसन्न करने के लिए मुख्य द्वार पर बनाएं ये खूबसूरत रंगोली |
- History of Chath Puja : छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुई, इतिहास जानकर हैरान हो जाएंगे आप
- Chath Puja 2023:जानिए छठ पूजा का अनुष्ठान कैसे करें? इन नियमों को भूलकर भी नजरअंदाज न करें।
- शारदीय नवरात्रि घटस्थापना 2023 (Shardiya Navratri Ghatasthapana 2023)
- नवरात्रि में महाष्टमी का विशेष महत्व क्यों है? (Navaratri Me Mahaashtami Ka Vishesh Mahatv Kyon Hai?)
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।