Current Date: 04 Jun, 2023

नवग्रह चालीसा - Avinash Karn

नवग्रह नौ स्वर्गीय पिंड और देवता हैं जो हिंदू धर्म और हिंदू ज्योतिष में पृथ्वी पर मानव जीवन को प्रभावित करते हैं यह शब्द नव और ग्रह से लिया गया है। ध्यान दें कि पृथ्वी, यूरेनस और नेपच्यून नवग्रह में शामिल नहीं हैं।


॥दोहा॥    कनकबदनकुण्डलमकर, मुक्तामालाअंग॥
    पद्मासनस्थितध्याइए, शंखचक्रकेसंग॥
M:-    आइये सुनते है नवग्रह चालीसा
    
M:-    जयसविताजयजयतिदिवाकर!,सहस्त्रांशु! सप्ताश्वतिमिरहर॥
 कोरस :-     भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!,सविताहंस! सुनूरविभाकर॥ 1॥

M:-    विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्डहरिरूपविरोचन॥
कोरस :-     अम्बरमणि! खग! रविकहलाते, वेदहिरण्यगर्भकहगाते॥ 2॥

M:-    सहस्त्रांशुप्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगनहोतप्रसन्नमोदलहि॥
कोरस :-     अरुणसदृशसारथीमनोहर, हांकतहयसाताचढ़िरथपर॥ 3॥

M:-    मंडलकीमहिमाअतिन्यारी, तेजरूपकेरीबलिहारी॥
कोरस :-     उच्चैःश्रवासदृशहयजोते, देखिपुरन्दरलज्जितहोते॥ 4॥

M:-    मित्रमरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सवितासूर्यअर्कखगकलिकर॥
कोरस :-     पूषारविआदित्यनामलै, हिरण्यगर्भायनमःकहिकै॥ 5॥

M:-    द्वादसनामप्रेमसोंगावैं, मस्तकबारहबारनवावैं॥
कोरस :-     चारपदारथजनसोपावै, दुःखदारिद्रअघपुंजनसावै॥ 6॥

M:-     नमस्कारकोचमत्कारयह, विधिहरिहरकोकृपासारयह॥
कोरस :-     सेवैभानुतुमहिंमनलाई, अष्टसिद्धिनवनिधितेहिंपाई॥ 7॥
M:-    बारहनामउच्चारनकरते, सहसजनमकेपातकटरते॥
कोरस :-     उपाख्यानजोकरतेतवजन, रिपुसोंजमलहतेसोतेहिछन॥ 8॥

M:-    धनसुतजुतपरिवारबढ़तुहै, प्रबलमोहकोफंदकटतुहै॥
कोरस :-     अर्कशीशकोरक्षाकरते, रविललाटपरनित्यबिहरते॥ 9॥

M:-    सूर्यनेत्रपरनित्यविराजत, कर्णदेसपरदिनकरछाजत॥
कोरस :-     भानुनासिकावासकरहुनित, भास्करकरतसदामुखकोहित॥ 10॥

M:-    ओंठरहैंपर्जन्यहमारे, रसनाबीचतीक्ष्णबसप्यारे॥
कोरस :-     कंठसुवर्णरेतकीशोभा, तिग्मतेजसःकांधेलोभा॥ 11॥

M:-    पूषांबाहूमित्रपीठहिंपर, त्वष्टावरुणरहतसुउष्णकर॥
कोरस :-     युगलहाथपररक्षाकारन, भानुमानउरसर्मसुउदरचन॥ 12॥

M:-     बसतनाभिआदित्यमनोहर, कटिमंह, रहतमनमुदभर॥
M:-     जंघागोपतिसविताबासा, गुप्तदिवाकरकरतहुलासा॥ 13॥

M:-     विवस्वानपदकीरखवारी, बाहरबसतेनिततमहारी॥
कोरस :-     सहस्त्रांशुसर्वांगसम्हारै, रक्षाकवचविचित्रविचारे॥ 14॥

M:-     असजोजनअपनेमनमाहीं, भयजगबीचकरहुंतेहिनाहीं॥
कोरस :-    दद्रुकुष्ठतेहिंकबहुनव्यापै, जोजनयाकोमनमंहजापै॥ 15॥


M:-    अंधकारजगकाजोहरता, नवप्रकाशसेआनन्दभरता॥
कोरस :-     ग्रहगनग्रसिनमिटावतजाही, कोटिबारमैंप्रनवौंताही॥ 16॥

M:-    मंदसदृशसुतजगमेंजाके, धर्मराजसमअद्भुतबांके॥
कोरस :-     धन्य-धन्यतुमदिनमनिदेवा, कियाकरतसुरमुनिनरसेवा॥ 17॥

M:-     भक्तिभावयुतपूर्णनियमसों, दूरहटतसोभवकेभ्रमसों॥
कोरस :-     परमधन्यसोंनरतनधारी, हैंप्रसन्नजेहिपरतमहारी॥ 18॥

M:-    अरुणमाघमहंसूर्यफाल्गुन, मधुवेदांगनामरविउदयन॥
कोरस :-     भानुउदयबैसाखगिनावै, ज्येष्ठइन्द्रआषाढ़रविगावै॥ 19॥

M:-    यमभादोंआश्विनहिमरेता, कातिकहोतदिवाकरनेता॥
कोरस :-     अगहनभिन्नविष्णुहैंपूसहिं, पुरुषनामरविहैंमलमासहिं॥ 20॥

॥दोहा॥    भानुचालीसाप्रेमयुत, गावहिंजेनरनित्य॥
     सुखसम्पत्तिलहिबिबिध, होंहिंसदाकृतकृत्य॥

Singer - Avinash Karn

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