Varalakshmi Vrat Katha : भगवान शिव को प्रिय सावन मास समाप्त होने वाला है। सावन मास के पूर्णिमा से
पहले पड़ने वाले शुक्रवार को माता वरलक्ष्मी की पूजा की जाती है। वरलक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में धन,
यश, प्रेम, शांति, संपन्नता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। इसीलिए माता की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती
है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मां वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई है, जिसकी वजह से उनका रंग श्वेत
है। माता वरलक्ष्मी की पूजा से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। वरलक्ष्मी व्रत कथा के पाठ से सभी
मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं।
आइये जानते है कि वरलक्ष्मी व्रत कथा के विषय में:
पौराणिक कथानुसार, मगध राज्य में कुंडी नामक एक नगर हुआ करता था। उस नगर में चारुमति के नाम की
एक महिला रहती थी। चारुमति पारिवारिक नारी थी जो अपने सास, ससुर एवं पति की जिम्मेदारियों का निर्वहन
करती थी। इसके अलावा वह माता लक्ष्मी की अनन्य भक्त थी। वे पूरे विधि-विधान से माता की पूजा-अर्चना करती
थी।
एक दिन रात्रि में चारुमति के सपने में आकर माता लक्ष्मी ने सावन मास की पूर्णिमा से पहले शुक्रवार को
वरलक्ष्मी का व्रत रखने की बात कही। शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के द्वारा बताएं अनुसार चारुमति ने
नियमपूर्वक मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की।
चारुमति की पूजा जैसे ही संपन्न हुई और वो कलश की परिक्रमा कर रही थी तो वैसे ही शरीर पर सोने के
आभूषण सजने लगे थे। साथ ही साथ चारुमति का घर धन-धान्य से भर गया। चारुमति ने नगर की दूसरी नारियां
को व्रत की विधि बताई थी। नगर की सभी महिलाओं ने वरलक्ष्मी की व्रत रखना शुरू किया जिससे सभी की
आर्थिक समस्या समाप्त हो गई।
Singer - Bhajan Sangrah
और भी देखे :-
- रविवार व्रत कथा
- मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)
- श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Shravan Putrada Ekadashi fasting story)
- श्री दुर्गा नवरात्रि व्रत कथा (Shri Durga Navratri Vrat Katha)
- अहोई अष्टमी व्रत कथा
- Navratri 2nd Day 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें रंग, पसंदीदा भोग और व्रत कथाएं
- वरुथिनी एकादशी व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha)
- नाग पंचमी कथा
- बद्रीनाथ कथा
- करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)
अगर आपको यह भजन अच्छा लगा हो तो कृपया इसे अन्य लोगो तक साझा करें।